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R.K. Narayan Ki Samagrah Kahani Sangrah

900.00

Author : Laval Kumar and Rakesh Kumar
ISBN : 978-93-90423-83-5
Edition : 1st
Year : 2023
Pages : 300
Size : 14.5×21.5 Cm
Publisher : Global Academic Publishers & Distributors
Price : INR 990/-
Subject : Khani Sangrah

Description

छोटी कहानियों, उपन्यासों के बड़े साहित्यकार थे आर के नारायण, आर के नारायण ने अपनी रचनाएं भले ही अंग्रेजी भाषा में लिखीं किन्तु उनका साहित्य हिन्दी के पाठकों के बीच उतना ही लोकप्रिय रहा जितना अंग्रेजी पाठकों के बीच । लेखन की शुरूआत आर के नारायण ने छोटी कहानियों से की । उनकी ये कहानियां ‘द हिंदू’ में छपा करती थीं ।
आर के नारायण उन प्रमुख भारतीय साहित्यकारों में से हैं जिन्हें सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब ख्याति प्राप्त हुई । उनका नाम अंग्रेजी साहित्य के प्रमुख तीन भारतीय लेखकों की श्रेणी में शामिल है । 1943 में आरके नारायण की प्रकाशित छोटी कहानियों के संग्रह ‘द मालगुडी डेज’ पर आ/ाारित टीवी /ाारावाहिक ‘मालगुडी डेज’ काफी चर्चित /ाारावाहिक था, जिसे लोग आज भी नहीं भूले हैं । यह /ाारावाहिक 80 के दशक में शंकर नाग के निर्देशन में बना था । मालगुडी डेज को सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब ख्याति मिली । इस /ाारावाहिक में आरके नारायण के मन में बसे एक काल्पनिक शहर मालगुडी का इतना सुंदर वर्णन हुआ है जिसे देखकर इस शहर को वास्तविक में भी देखने की इच्छा होने लगती है । किताब मालगुडी डेज में आरके नारायण ने दैनिक जीवन की छोटी–छोटी घटनाओं के साथ ही मानवीय सम्बं/ाों का भी अति प्रशंसनीय नेचुरल वर्णन किया है ।
‘मालगुडी डेज’ तो आरके नारायण की लोकप्रिय चर्चित कृति रही ही थी ही जिसने उन्हें घर–घर में लोकप्रिय बना दिया था इसके अलावा साठ के दशक में उनके लिखे उपन्यास ‘द गाइड’ पर एक हिन्दी फिल्म का निर्माण हुआ, जो उस समय की सर्वश्रेष्ठ चर्चित क्लासिक फिल्म रही, जिसमें देवानंद वहीदा रहमान जैसे उत्कृष्ठ कलाकारों ने काम किया था ।
आर के नारायण का पहला उपन्यास ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ था जो स्कूली लड़कों के एक ग्रुप की एक्टिविटीज पर आ/ाारित था । यह उपन्यास जब आरके नारायण के एक दोस्त के जरिए ग्राहम ग्रीन जो अंग्रेजी के एक महान लेखक रहे हैं तक पहुंचा तो उन्हें यह बहुत पसंद आया और इसकी प्रकाशन की जिम्मेदारी भी उन्होंने ली, 1935 में आरके नारायण यह उपन्यास प्रकाशित हुआ । इसके बाद में ग्राहम ग्रीन आरके नारायण के दोस्त बन गए । 1937 में आरके नारायण ने अपने क०लेज के अनुभव पर ‘द बैचलर ऑफ आर्टस’ नाम से उपन्यास लिखा जिसे भी ग्राहम ग्रीन ने प्रकाशित कराया । 1938 में ‘द डार्क रूम’ नाम से आरके नारायण का तीसरा उपन्यास प्रकाशित हुआ जिसमें उन्होंने वैवाहिक जीवन के भावनात्मक पहलू का बहुत ही सटीक विश्लेषण किया था । ये सभी भी आरके लक्ष्मण के प्रसिद्ध उपन्यास रहे । कर्नाटक में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आरके नारायण ने 1980 में ‘द एमरल्ड रूट’ पुस्तक लिखी ।
आरके नारायण को उनकी कृतियों के लिए कई पुरूस्कारों से सम्मानित किया गया । ‘द गाइड’ उपन्यास के लिए 1958 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरूस्कार दिया गया । 1964 में वे पद्म भूषण से और सन् 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किए गए । वह रॉयल सोसायटी ऑफ लिटरेचर के फेलो और अमेरिकन एकडमी अ०फ आटर्स एंड लैटर्स के मानद सदस्य भी रहे हैं । रॉयल सोसायटी ऑफ लिटरेचर द्वारा 1980 में उन्हें ए–सी– बेन्सन पुरस्कार से सम्मानित किया गया । 1989 में आरके नारायण राज्य सभा के लिए न० मिनेट हुए जहां रहकर उन्होंने एजुकेशन सिस्टम को बेहतरीन बनाने के लिए प्रशंसनीय कार्य किये ।

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